जी. पी. श्रीवास्तव वाक्य
उच्चारण: [ ji. pi. sherivaasetv ]
उदाहरण वाक्य
- विज्ञापन“), जी. पी. श्रीवास्तव (”उलट फेर“ ”पत्र-पत्रिका-संमेलन“) पांडेय बेचन शर्मा उग्र (”उजबक“, ”चार बेचारे"), हरिशंकर शर्मा (बिरादरी विभ्राट पाखंड प्रदर्शन, स्वर्ग की सीधी सड़क), आदि इस युग में सफल प्रहसनकार हैं।
- अभी चन्द दिनों पहले रीवा (म.प्र.) में ही, अवतार मेहेर बाबा के सत्संग में डॉ. जी. पी. श्रीवास्तव अंकल का अध्यात्मिक व्याखान सुनने का मौका मिला जो कि बहुत ही रोचक होता है.
- श्री बालमुकुंद गुप्त जी का “शिवशंभु का चिट्ठा”, श्री चंद्रधर शर्मा गुलेरी का “कछुवा धर्म”, श्री मिश्रबंधु और बदरीनाथ भट्ट जी के अनेक नाटक, श्री हरिशंकर शर्मा के निबंध, नाटक आदि, श्री जी. पी. श्रीवास्तव और उग्र जी के अनेक प्रहसन और अनेक कहानियाँ, अपने-अपने समय में जनसाधारण में खूब समादृत हुई।
- श्री बालमुकुंद गुप्त जी का शिवशंभु का चिट्ठा, श्री चंद्रधर शर्मा गुलेरी का कछुवा धर्म, श्री मिश्रबंधु और बदरीनाथ भट्ट जी के अनेक नाटक, श्री हरिशंकर शर्मा के निबंध, नाटक आदि, श्री जी. पी. श्रीवास्तव और उग्र जी के अनेक प्रहसन और अनेक कहानियाँ, अपने अपने समय में जनसाधारण में खूब समादृत हुई।
- भारतेंदु हरिशचंद (वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति, “अंधेर नगरी”, “विषयविषमौषधम्”) प्रतापनारायण मिश्र (“कलिकौतुक रूपक”) बालकृष्ण भट्ट (“जैसा काम वैसा दुष्परिणाम”), राधाचरण गोस्वामी (“विवाह विज्ञापन”), जी. पी. श्रीवास्तव (“उलट फेर” “पत्र-पत्रिका-संमेलन”) पांडेय बेचन शर्मा उग्र (“उजबक”, “चार बेचारे”), हरिशंकर शर्मा (बिरादरी विभ्राट पाखंड प्रदर्शन, स्वर्ग की सीधी सड़क), आदि इस युग में सफल प्रहसनकार हैं।